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यश्चि॒दापो॑ महि॒ना प॒र्यप॑श्य॒द् दक्षं॒ दधा॑ना ज॒नय॑न्तीर्य॒ज्ञम्। यो दे॒वेष्वधि॑ दे॒वऽ एक॒ऽ आसी॒त् कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥२६ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

यः। चि॒त्। आपः॑। म॒हि॒ना। प॒र्यप॑श्य॒दिति॑ परि॒ऽअप॑श्यत्। दक्ष॑म्। दधा॑नाः। ज॒नय॑न्तीः। य॒ज्ञम्। यः। दे॒वेषु॑। अधि॑। दे॒वः। एकः॑। आसी॑त्। कस्मै॑। दे॒वाय॑। ह॒विषा॑। वि॒धे॒म॒ ॥२६ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:27» मन्त्र:26


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

कौन मनुष्य आनन्दित होते हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - (यः) जो परमेश्वर (महिना) अपने व्यापकपन के महिमा से (दक्षम्) बल को (दधानाः) धारण करती (यज्ञम्) सङ्गत संसार को (जनयन्तीः) उत्पन्न करती हुई (आपः) व्याप्तिशील सूक्ष्म जल की मात्रा हैं, उनको (पर्यपश्यत्) सब ओर से देखता है, (यः) जो ईश्वर (देवेषु) उत्तम गुणवाले प्रकृति आदि और जीवों में (एकः) एक (अधि, देवः) उत्तम गुण, कर्म, स्वभाववाला (आसीत्) है, उस (चित्) ही (कस्मै) सुखस्वरूप (देवाय) सब सुखों के दाता ईश्वर की हम लोग (हविषा) आज्ञापालन और योगाभ्यास के धारण से (विधेम) सेवा करें ॥२६ ॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यो ! जो आप लोग सब के द्रष्टा, धर्त्ता, कर्त्ता, अद्वितीय अधिष्ठाता परमात्मा के जानने को नित्य योगाभ्यास करते हैं, वे आनन्दित होते हैं ॥२६ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

के जना मोदन्त इत्याह ॥

अन्वय:

(यः) परमेश्वरः (चित्) (आपः) व्याप्तिशीलाः सूक्ष्मास्तन्मात्राः (महिना) स्वस्य महिम्ना व्यापकत्वेन (पर्यपश्यत्) सर्वतः पश्यति (दक्षम्) बलम् (दधानाः) धरन्त्यः (जनयन्तीः) उत्पादयन्त्यः (यज्ञम्) सङ्गतं संसारम् (यः) (देवेषु) प्रकृत्यादिजीवेषु (अधि) उपरिभावे (देवः) दिव्यगुणकर्मस्वभावः (एकः) अद्वितीयः (आसीत्) अस्ति (कस्मै) सुखस्वरूपाय (देवाय) सर्वसुखप्रदाय (हविषा) तदाज्ञायोगाभ्यासधारणेन (विधेम) सेवेमहि ॥२६ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - यो महिना दक्षं दधाना यज्ञं जनयन्तीरापः सन्ति ताः पर्यपश्यद् यो देवेष्वेकोऽधि देव आसीत् तस्मै चित् कस्मै देवाय वयं हविषा विधेम ॥२६ ॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्याः ! ये भवन्तः सर्वस्य द्रष्टारं धर्त्तारमद्वितीयमधिष्ठातारं परमात्मानं ज्ञातुं योगं नित्यमभ्यस्यन्ति त आनन्दिता भवन्ति ॥२६ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे माणसांनो ! तुमच्यामधील जे लोक, सर्वांचा द्रष्टा, धर्मा, कर्ता, अद्वितीय अधिष्ठाता असलेल्या परमेश्वराला जाणण्यासाठी नित्य योगाभ्यास करतात ते आनंदी असतात.